स्मार्ट सिटी की परिकल्पना और हमारे गाँव
आज हमारे देश में स्मार्ट सिटी की चर्चा ज़ोरों
पर हैं। इसी प्रतीक्षा में है,आखिर कैसी होगी हमारी स्मार्ट सिटी ?
क्या
जैसा हमें समाचार-पत्र, न्यूज़ चैनल, मैगज़ीन इत्यादी में दिखाया जा रहा है वैसी ही
होगी हमारी स्मार्ट सिटी ।
जैसा हमें बताया गया है या फिर जैसी हम सब ने
कल्पना की है की हमारे घर, स्कूल, अस्पताल,ऑफिस और परिवहन के साधन इत्यादि सभी
डिजिटल होंगें ।
सन २००५ में जे एन एन यू आर एम ( जवाहर लाल
नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन ) आरम्भ हुआ, जिसे १० साल बाद २०१५ में स्मार्ट
सिटी मिशन और अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांस्फोर्मेशन ) जैसे
कार्यक्रमों में बदल दिया गया ।
स्मार्ट सिटी मिशन २०१५-१६ से २०१९-२० के बीच १०० से अधिक शहरो को दायरे में
लेगा। स्मार्ट सिटी मिशन एवं अमृत पर क्रमशः ४८००० करोड़ रूपये और ५०००० करोड़
रूपये खर्च करने हैं ।
मिशन में स्मार्ट सिटी की परिभाषा नहीं दी गयी है, लेकिन इस मिशन का लक्ष्य
स्मार्ट सुविधाओं के माध्यम से शहर को स्मार्ट बनाना है। स्मार्ट सुविधाओं की सूची
बहुत बड़ी है। उनमे से कुछ हैं,-
- जलापूर्ति प्रबंधन के लिए स्मार्ट मीटर,
- स्मार्ट पार्किंग तथा यातायात का नियमाकुल प्रबंधन,
- ई-प्रशाशन तथा विडिओ के माध्यम से अपराध की निगरानी
- साफ पानी की व्यवस्था,
- पानी की उचित निकासी,
- बिजली की २४ घंटे उपलब्धता,
- रसोई गैस इत्यादि सभी सुविधाए उपलब्ध होंगी ।
सोच के
ही कितना अच्छा लगता है ।
मोबाइल पर कुछ बटन दबाने भर से ही टैक्सी, रूम
सर्विस, कपडें इत्यदि ज़रुरत के सभी सामान, हमारे घर पर खुद चल कर आयेंगें । हमारे
घर पर ही सभी चिकित्सकीय सुविधाएँ उपलब्ध होंगी ।
हमारा
जीवन कितना आसान हो जायेगा। हम भी और दूसरे विकसित देशों की श्रेणी में आ
जायेंगें । हमारी पहचान भी विश्व के और खूबसूरत देशों की तरह होगी ।
लेकिन
इन स्मार्ट सिटी में कौन से लोग रहेंगें ? वे किस वर्ग के लोग होंगें?
जैसा की हम लोग जानतें हैं कि हमारे देश की लगभग ७०%
आबादी गांवों में बसती है ।और आज आज़ादी के ६८ साल बाद भी हमारे गाँव उस अनुपात में
विकसित नहीं हुएँ जैसा कि होना चाहिये ।
अगर
ग्रामीणों की बात करें तो लगभग ८०% ग्रामीण मोबाइल से बात करने के अलावा कुछ और
करना नहीं जानतें है । ग्रामीणों को इन्टरनेट के बारें में नही पता । वो आज भी शहर की सुख सुविधाओं से परे हैं । हमारे देश
के हर राज्य में कई ऐसे सुदूर गाँव है जहाँ सड़क और विद्युत की समस्या आज भी है ।
कई स्थानों पर आज भी ८-९ किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है । वहाँ आज भी आधारभूत
अवसंरचनाओं की कमी है। अगर हम बिजली की बात करे तो, आज भी कई जगहों पर है ही नही, और जहाँ है, वहाँ भी समय पर नही आती, और जब आती है तो लो वोल्टेज समस्या ।
हमारी
स्मार्ट सिटी की परिकल्पना बस ३०% आबादी को ध्यान में रखते हुए एक-पक्षीय सा लगता
है । हमारे देश की ७०% आबादी जो गाँवों के अँधेरे में जीने पे मजबूर है, जिन्हें
इन्टरनेट के बारे में नहीं पता जो खेती कर के जीवन-यापन करते है उनके विकास , उचित
शिक्षा और उनके स्वास्थय इत्यादि के बारे में हम नही सोच रहे है ।
मेरे विचार से हमे, हमारे देश में औधोगिकरण ,
डिजिटलाइजेशन इत्यादि के साथ साथ हमारे
गाँवों के समुचित विकास, जैसे शिक्षा, सड़क, परिवहन और खेती इत्यादि पर विशेष ध्यान
देने की जरुरत है । हमारे किसान खाद, बीज, पानी और आर्थिक समस्या
से पीड़ित हैं ।
अगर
हमारे किसानों को उचित सुविधाएँ मिलेंगी तो हमारी खेती अच्छी होगी, किसान समृद्ध
होंगे, अनाज का भण्डार बढेगा, और हमारे देश की जी डी पी में खेती की हिस्सेदारी
बढ़ेगी ।
अगर
हमने देश के गाँवों और खेती पर ध्यान नही दिया तो भविष्य में इसका बहुत बड़ा दुष्परिणाम
देखने को मिलेगा । शहर और गाँव में बहुत बड़ा अंतर देखने को मिलेगा ।
शहर
और गाँवों के बीच बहुत बड़ी खाई उत्पन्न हो जाएगी । जिसे पाटना बहुत मुश्किल हो जायेगा
।
नरकटियागंज, पच्छिमी चम्पारण बिहार
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