धामपुर का धाम

असीम स्नेह, प्रेम मिला,
धामपुर के धाम में।
अविस्मरणीय रहेगा ,
यहाँ जो मेला था।
उन यू पी के वादियों में ,
मै कभी न अकेला था।
लोगो की सहानुभूतियो से,
मै घिरा था।
सुई सी चुभन में,
सुन्दर सा मन था।
कृतियाँ नई सी,
प्रभाव नया था।
पाजी का आदर,
अतीक का सुन्दर अतीत था।
फूल जी का सेवा भाव,
नरेन्द्र जी का उत्कृष्टता थी।
सभी का सहभाव,
मन में न कोई चिंतित व्यथा थी।
धामपुर वास्तव में,
एक अविस्मरनीय धाम था।
सभी के साथ ,
आदर सम भाव था।
सेवादारो की सेवा,
निःस्वार्थ, सर्वत्र कृतार्थ था।
मेरे विधुत उपकेन्द्र की सेवा,
सफल थी आप की सेवा मे।
धामपुर विधुत माय रहे,
यही ईश्वर की कामना थी।
                       
                                     - विकास पाण्डेय


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