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पं. ईश्वरचंद्र विद्यासागर

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 पं. ईश्वरचंद्र विद्यासागर के पिता दो-तीन रुपये मासिक के मजदूर थे। घर का गुजारा ही कठिनता से हो पाता था, तब पुत्र को पढ़ा सकने का प्रश्न ही न उठता था। किंतु उनकी यह इच्छा जरूर थी कि उनका पुत्र पढ़-लिखकर योग्य बने पर आर्थिक विवशता ने उन्हें इस इच्छा को महत्त देने से रोके रखा।   ईश्वरचंद्र जब कुछ सयाने हुए तो गाँव के लडकों को स्कूल जाता देखकर पिता से रोते हुए बोले- "मैं भी पढ़ने जाऊँगा।" पिता ने परिस्थिति बतलाते हुए कह- बेटा तेरे भाग्य में विद्या ही होती तो मेरे जैसे निर्धन के यही क्यों पैदा होता? कुछ और बडे होकर मेहनत मजदूरी करने की सोचना, जिससे ठीक तरह से पेट भर सके। पढ़ाई के विषय में सोचना फिजूल बात है।''   पिता की निराशापूर्ण बात सुनकर ईश्वरधंद्र मन मसोसकर रह गये। इससे अधिक वह बालक और कर भी क्या सकता था? पिता का उत्तर पाकर भी उसका उत्साह कम नहीं हुआ। उसने पढ़ने वाले अनेक छात्रों को मित्र बनाया और उनकी किताब से पूछकर पढ़ने लगा। इस प्रकार धीरे-धीरे उसने अक्षर-ज्ञान प्राप्त कर लिया और एक दिन कोयले से जमीन पर लिखकर, पिता को दिखलाया। पिता विद्या के प्रति उसकी लगन देखकर ...

लिओनार्दो द विंसी के प्रेरक कथन

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लिओनार्दो द विंसी के प्रेरक कथन मानवता के इतिहास में सबसे बड़े जीनियस के रूप में जाने जाने वाले  लिओनार्दो द विंसी  के प्रेरक कथन. Quote 1:  I love those who can smile in trouble, who can gather strength from distress, and grow brave by reflection. ‘ In Hindi:  मैं उनसे प्रेम करता हूँ जो मुसीबत में मुस्कुरा सकें , जो संकट में शक्ति एकत्रित कर सकें , और जो आत्मचिंतन से साहसी बन सकें। Leonardo da Vinci लिओनार्दो  Quote  2:   It had long since come to my attention that people of accomplishment rarely sat back and let things happen to them. They went out and happened to things. In Hindi:  काफी समय पहले से मेरे ध्यान में ये बात है कि सफलता पाने वाले बैठ कर चीजों के होने का इंतज़ार नहीं करते।  वे बाहर जाते हैं और वे चीजें कर डालते हैं। Leonardo da Vinci लिओनार्दो  Quote 3:  Life is pretty simple: You do some stuff. Most fails. Some works. You do more of what works. If it works big, others ...

प्रेरणादायक विचार

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प्रेरणादायक विचार    किसी की बुराई से न डरे , अपितु अपने अच्छाई से उसकी बुराई को खत्म करें ।    एकजुटता , धर्मनिरपेक्षता , समानता , संप्रभुता आदि हर राष्ट्र प्रेमी में समायोजित होता है।    अक्सर हम अपनी सोच का आंशिक भाग व्यर्थ करते है , कि हम यह अथवा वह जो चाहते थे , नहीं बन पाए , बल्कि हमें तो खुश होना चाहिए की हमारे जिस रूप या स्वरूप से मानवता का कल्याण होता है , दू सरो के मुस्कान से स्वयं भाव -समृद्ध होते है , यही तो जीवन का काल - खंड है , जो प्रेरणादायक होता है।    हम अक्सर प्रेरणा स्रोत ,  आदर्श पुरूषों ,  महापुरुषों की जीवनी सुनते और पढ़ते है ,  परन्तु गंभीर तथ्य यह है की हम उस तथ्यो , और उनके संघर्षों  को कितना सकारात्मक मूल्यांकन कर जीवन धरातल पर अवलोकन करते है।  दूसरों के होठों पे मुस्कान लाना, वास्तव में आतंरिक आनंद देता है ।    बड़ा आदमी बनना आसान होता है ,  लेकिन बड़प्पन एवं अपनत्व लाना उतना ही कठिन होता है।    शालीनता , चारित्रिकरूपेण दर्पण है।   विनम्रत...

अंतिम प्रयास (कहानी)

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अंतिम प्रयास एक विरान से गाँव में एक मंदिर के पुजारी रहा करते थे जो ज़्यादातर धर्म - कर्म के कामों में लगे रहते थे।  एक दिन की बात है वे किसी काम से गांव के बाहर थे तभी अचानक उनकी नज़र एक बड़े से अच्छे दिखने वाले पत्थर पे पड़ी।  उनके मन में विचार आया कितना विशाल पत्थर है क्यूँ ना मैं इस पत्थर से भगवान की एक मूर्ति बनवाऊ। यही सोचकर पुजारी ने वो पत्थर वहां से उठवा लिया। गाँव लौटते हुए पुजारी ने उस पत्थर के टुकड़े को एक मूर्तिकार को दे दिया जो  उस स्थान का बहुत ही प्रसिद्ध मूर्तिकार था। मूर्तिकार जल्दी ही अपने औजार लेकर पत्थर को काटने में लग गया। जैसे ही मूर्तिकार ने पहला प्रहार किया उसे एहसास हुआ की पत्थर बहुत ही कठोर है। मूर्तिकार ने एक बार फिर से पूरे जोश के साथ प्रहार किया लेकिन पत्थर पर कोई भी असर नहीं हुआ। अब तो मूर्तिकार का पसीना छूट गया वो लगातार हथौड़े से प्रहार करता रहा लेकिन पत्थर टूटा ही नहीं। उसने लगातार 99 प्रयास किये लेकिन पत्थर तोड़ने में कामयाब नही हो पाया। अगले दिन जब पुजारी आये तो उस मूर्तिकार ने भगवान की मूर्ति बनाने से मना कर दिया और सारी...

सभी बाधाओं का हल (कहानी)

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  एक आदमी काफी दिनों से परेशान चल रहा था जिसके कारण वह काफी दिनों से चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहा करता था।  वह इस बात से हमेशा परेशान रहता था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के कन्धों पर टिकी है, हमेशा  उसके यहाँ किसी न किसी मेहमान का आना जाना लगा ही रहता था, और उसे बहुत ज्यादा आय कर भी देना पड़ता था, इसके अलावा उसे कई परेशानियां सताती रहती थी।   इन्ही सब बातों को सोच सोच कर वह ज़्यादातर  परेशान रहा करता था और बच्चों को अक्सर डांट देता , अपनी पत्नी से भी अधिकतर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता ही रहता था।   एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और कहा पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करवा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनावग्रस्त था, तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया। लेकिन  जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा ठंडा हुआ तो, वह बेटे के पास गया और देखा कि उसका बेटा सोया गया और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी रखी थी,  उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के शीर्षक पर पड़ी। होमवर्क का श...