मनुष्यता ही सर्वोपरि धर्म है। (स्वामी विवेकानंद के संस्मरण पर आधारित )

मनुष्यता ही सर्वोपरि धर्म है । (स्वामी विवेकानंद के संस्मरण पर आधारित ) एक बार एक सज्जन पुरुष ने स्वामी विवेकानंद से पूछा कि - स्वामी जी , हमें सिखाया जाता है कि, ईश्वर व अल्लाह एक है । यदि वह एक है, तो इस दुनिया को उसी ने बनाया होगा । यदि उसी ने बनाया है, तो फिर उसने इतने अलग - अलग प्रकार के मनुष्य क्यों बनाए? यदि सभी एक समान होते तो , कभी लड़ाई झगड़ा नहीं होता । स्वामी जी ने कहा - महाशय जरा सोचिए ! यह संसार कैसा होता? अगर उसमें एक ही प्रकार के फल - फूल , एक ही तरह के खाद्य पदार्थ होते ? ईश्वर ने इस लिए तो अनेक प्रकार के खाद्य , फल - फूल आदि बनाए । अनेक प्रकार के जीव जंतु और मानव बनाए , ताकि हम एक साथ रहते हुए एकता के महत्व को पहचान सकें। सज्जन ने पुनः सवाल किया - "स्वामी जी ऐसा क्यों है कि, एक धर्म में कहा गया है, कि यह खाओ और दूसरे में कहा गया है ...