पानी पिएं, न कम न ज्यादा
पानी पिएं, न कम न ज्यादा
ठंड के दिनों में शरीर में पानी का स्तर बनाए रखना बेहद जरूरी है। कुछ लोग इस मौसम में पानी बहुत कम पीते
गर्मियों में पसीना आने की वजह से बार-बार प्यास लगती रहती है, इसीलिए पानी ज्यादा पिया जाता है। लेकिन सर्दियों में ऐसा नहीं होता, ठंड में पानी कम पिया जाता है। हमारे शरीर का लगनग 75 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना है। शरीर के सभी अंग सही ढंग से काम करते रहे, इसके लिए शरीर में पानी का स्तर बने रहना बहुत जरूरी होता है।
ठंड में भी पिए पर्याप्त पानी
सांस लेने, भोजन पचाने, पसीने और पेशाब के जरिये शरीर से लगातार पानी बाहर निकलता रहता है। यदि शरीर में पानी का स्तर सामान्य से 10 फीसदी नीचे चला जाए तो ठंड के मौसम में भी पानी की कमी हो जाती है। ऐसा होने पर शुष्क त्वचा, होठ फटना, सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, सूखी खांसी, नाक बहना,जरूरत से ज्यादा भूख लगना और ब्लड प्रेशर हाई होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पानी की की होने पर विषैले तत्व मूत्र द्वारा बाहर नहीं निकल पाते, जो सक्रमण की आशंका को बढ़ाते हैं। पानी की कमी की जाच पेशाब के रंग से स्वयं की जा सकती है। वाहे पीले रंग का मूत्र, पानी की कमी का संकेत है। पेशाब का रंगा हमेशा हल्का पीला होना चाहिए।
कितना पानी पिए ?
पानी का ज्यादा सेवन खून में सोडियम के स्तर को कम कर देता है, जिसे हाईपोनेट्रेनिया कहा जाता है। ऐसा होने पर उल्टी आने और शरीर में सूजन जैसे लक्षण दिखते हैं। स्थिति गंभीर होने पर थकान में चिड़चिड़ापन और कमजोरी भी होने लगाती है। शरीर से जरूरी खनिज पेशाब से बाहर निकलने लगते हैं।
आमतौर पर एक दिन में करीब 8 गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है। पर यह व्यक्ति की दिनचर्या और उस पर निर्भर करता है। आठ वर्ष तक की उम्र के बच्चों को एक दिन में औसतन डेढ़ से 2 लीटर पानी और किशोरों को ढाई से साढ़े तीन लीटर तक पानी पीने की सलाह दी जाती है। बड़ों को 3 से 4 लीटर पानी और ज्यादा श्रम करने वालों को करीब 5 लीटर पानी पीना चाहिये। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी पर्याप्त पानी पीने की सलाह टी जाती है।
काम की बातें
👉 दलों व सब्जियों का सूप पिए। पानी की कमी पूरी होगी व पोषण भी मिलता है। सर्दियों में गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से गले की खराश में राहत मिलती है।
👉 दालचीनी, काली मिर्च और इलायची जैसी चीजों से बना कहवा ठंड में गर्माहट और महिलाओं को पानी खूब पीना चाहिए. यह मूत्र मार्ग के संक्रमण से बचाता है, नमी प्रदान देता है।
👉 हमेशा गुनगुना पानी पिएं, तेज गर्म पानी से सिर में दर्द या मुह में छाले हो सकते हैं। 7 दिन में एकाध बार सामान्य तापमान का पानी पिए। इससे ठंडमें अचानक बाहर निकलने पर गला खराब नहीं होता।
👉 सर्दियों में होने वाले सिरदर्द या बदनददं में गर्म पानी चाय की तरह सिप लेकर पिए।
👉 बुजुर्गों को सर्दियों में गुनगुना पानी दें, इससे जोड़ों की जकड़न में आराम मिलता है।
ठंडे पानी से हो सकती हैं दिक्कतें
आयुर्वेद के अनुसार, ठंडा पानी वात, पित्त और कफ दोषों में असंतुलन पैदा करता है। इसलिए खाने के दौरान और बाद में थोड़ा-थोड़ा गुनगुना पानी पिए। हमारा शरीर ठंडा पानी सोखने के लिए नहीं बना है। सर्दियों में ठंडा पानी पीने से पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसमें मोटापा बढ़ता है, साथ ही भोजन पचाने में भी दिक्कत आती है।
ठंड में गरिष्ठ भोजन के बाद ठंडा पानी पी लेने से रक्त वाहिकाएं कठोर हो जाती है और खने में मौजूद वसा आंतों की अंदरूनी दीवारों पर जमा होने लगती है। विभिन्न शोधों में यह भी पाया गया है कि ठंडा पानी पीने से हमारी हदय गति धीमी पड़ जाती है। ठंडा पानी नर्वस सिस्टम में मौजूद बेगस नामक नस को उत्तेजित कर देता है, जिससे हृदय गति धीमी पड़ने लगती है।
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