नरेंद्र मोदी के प्रेरक कथन

नरेंद्र मोदी के प्रेरक कथन

   भारत के १५ वें प्रभावशाली व्यक्तित्व के प्रधानमन्त्री
२६ मई २०१४ को शपथ ग्रहण





गुजरात के १४ वें मुख्यमन्त्री
समयावधि
७ अक्टूबर २००१ – २२ मई २०१४







जन्म:
17 सितम्बर 1950 (आयु 66 वर्ष)
राजनीतिक दल:भारतीय जनता पार्टी
जीवन संगी:जसोदाबेन चिमनलाल[1]
शैक्षिक सम्बद्धता:
धर्म:हिन्दू
हस्ताक्षर:


नरेन्द्र दामोदरदास मोदी 

जन्म: १७ सितम्बर १९५०,

 भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव
मुखर्जी
 ने उन्हें २६ मई २०१४ को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के १५वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं।
उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने २०१४ का लोकसभा चुनाव लड़ा और २८२ सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। 
एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत हासिल की।
इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के १४वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार ४ बार (२००१ से २०१४ तक) मुख्यमन्त्री चुना गया। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं, और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं।।
माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर २०१३ के ४२ उम्मीदवारों की सूची में भी शामिल किया है।
अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेताऔर कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते रहतें हैं।


आइये उनके द्वारा कहे गए कुछ प्रेरक विचारों को पढतें हैं:-



गरीबों के लिए दिन-रात काम करने से अधिक कुछ भी संतोषजनक नहीं है।

योग मानवजाति के लिए भारत का उपहार है जिसके द्वारा हम संपूर्ण संसार तक पहुँच सकते हैं। योग न केवल रोगमुक्ति के बारे में है बल्कि भोगमुक्ति के बारे में भी।



मैं फकीर हूं, झोला उठा के चल दूँगा।




भारत ने डिजिटल इंडिया का एक सपना देखा है। नवीनतम विज्ञान से लेकर आधुनिक प्रौद्योगिकी तक सब कुछ एक उंगली की नोक पर उपलब्ध होना चाहिए।



हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी ना हो कि जो सिर्फ रोबोट की तरह काम करने वाले लोग तैयार करे । यह तो प्रयोगशाला में भी हो सकता है। वहाँ तो “व्यक्तित्व का समग्र विकास होना चाहिए।



एक यात्रा के महत्व को तय की गई दूरी से नहीं मापा जाता, बल्कि गंतव्य से मापा जाता है।



हम गरीबों की एक सेना बनाएंगें, जहां हर गरीब एक सैनिक होगा और हम उनके ताकत की बदौलत गरीबी के खिलाफ युद्ध जीतेंगे।



गौतम बुद्ध के जीवन से हमें सेवा, करुणा और इससे भी बढ़कर त्याग की शक्ति का पता चलता है। उनका मानना था कि जीवन का एकमात्र लक्ष्य धन नहीं है।



आतंकवाद युद्ध से भी बदतर है। एक आतंकवादी के कोई नियम नहीं होते। एक आतंकवादी तय करता है कि कब, कैसे, कहाँ और किसको मारना है। भारत ने युद्धों की तुलना में आतंकी हमलों में अधिक लोगों को खोया है।



एक यात्रा के महत्व को तय की गई दूरी से नहीं मापा जाता, बल्कि गंतव्य से मापा जाता है।कार्यनिष्ठा मेरे लिए धर्म है और धार्मिक होने का अर्थ है निष्ठापूर्वक काम करना।



अगर उचित रूप से संपर्क किया जाए, तो नागरिक अपनी जिम्मेदारियों का दायित्व लेने में कभी विफल नहीं रहेंगे।



कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती, वह संतुष्टि लाती है।



हम सब में अच्छाई और बुराई, दोनों गुण होते हैं। जो लोग अच्छे गुणों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लेते हैं, वे जीवन में सफल हो जाते हैं।



किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति उसका स्वयं में विश्वास होती है। यदि आपको विश्वास है कि आप कर सकते हैं, तो आप कर सकते हैं। यदि आपको विश्वास है कि आप नहीं कर सकते, तो बहुत सम्भावना है कि आप नहीं कर पाएंगे।



अपना काम ही अपनी महत्वाकांक्षा हो।



समाज की सेवा करने का अवसर मिलने पर, हमें हमारे कर्ज चुकाने का मौका मिलता है।



हम सब में वृद्धि करने की एक सहज प्रकृति होती है। आइए, हम इस वृत्ति को विकसित करें।



काम करने का अवसर मेरे लिए सौभाग्य है। मैं उसमें मेरी जान डाल देता हूँ। प्रत्येक ऐसा अवसर अगला द्वार खोल देता है।



भूल जाओ कि आप अमीर अथवा गरीब हैं। आपको सिर्फ अपने में विश्वास की आवश्यकता है।



यदि आपमें काम करने का जज़्बा है तो उठे और आगे बढ़ें, रास्ता अपने आप मिल जायेगा।



सपने स्थिर होने चाहियें। जब सपने स्थिर होते हैं तो वे संकल्प का रूप ले लेते हैं और जब आप उन्हें कड़ी मेहनत से जोड़ते हैं तो वे सिद्धि में परिवर्तित हो जाते हैं।



हमारी विविधता ऐसी नहीं जो कागजों पर हो। यह हमारी शक्ति का प्रतीक है। यह न केवल हमारी पहचान है, हमारी परम्परा भी है।



विजय और पराजय दोनों में ही सीख है| जो विजय से सीख नहीं लेता, वह पराजय के बीज बोता है, और जो पराजय से सीख नहीं लेता वह विनाश के बीज बोता है|



आओ भारत में बनायें। आओ भारत में निर्माण करें।-Make In India
हिंसा के रास्ते से कुछ भी प्राप्त नहीं होता। बंदूकें फ़ेंक दें और शांति, एकजुटता, सदभाव एवम भाईचारे का रास्ता अपनाएँ।



लोगों के सहयोग के बिना कोई प्रजातंत्र सफल नहीं हो सकता। ‘MyGOv ‘ लोगों को सुराज्य में अपना योगदान देने हेतु सशक्त करता है।



पहले हम साँपों से खेलते थे, पर अब चूहे (Mouse) से खेलते हैं। IT के माध्यम से भारत के युवा ने पूरे विश्व को अचम्भे में डाल दिया है।



बचपन में मैं भी शरारती था तथा छेड़छाड़ किया करता था। हमारे अंदर जो बच्चा है उसे ज़िंदा रखना चाहिए क्योंकि वह बच्चा ही हमें जीवित रखता है।



यदि हमें आगे बढ़ना है, तो न केवल सरकार को बल्कि 125 करोड़ भारतीयों को भी प्रयास करना होगा।


आओ हम मिलजुलकर राष्ट्र सेवा करें। यदि एक नागरिक आगे कदम बढ़ाता है तो देश 125 करोड़ कदम आगे बढ़ता है।


हम चाहे सांसद, मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री जैसे किसी भी ऊँचे पद पर पहुँच जाएँ, हमें गांवों से बेहतर कोई भी नहीं सीखा सकता।


आओ हम खादी का कम से कम एक वस्त्र अवश्य खरीदें और गरीबों के घरों में दीपावली का दीया जलाने में सहायता करें।



स्वामी विवेकानंद के सपने में मेरा विश्वास है कि भारत एक बार फिर से जगतगुरु बन सकता है? भारत के पीछे रहने का कोई मुझे कोई कारण नहीं दिखता।



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