निकल पड़े हैं अकेले मंजिल की ओर -कहानी एक बावले की
निकल पड़े हैं अकेले मंजिल की ओर -कहानी एक बावले की
खादी कुर्ता पहने बगल में खादी का झोला और उसमें कुछ किताबें और टॉफी का पैकेट और साइकल पर ढेर सारे फलदार पेड़ लिए पहुच जातें है गरीब बच्चों के पास। बच्चे उन्हें खादी वाले बाबा कहतें है, कई बच्चे उन्हें पेड़ वाले बाबा कहतें है। दिमाग में कौन सा ऐसा बावरापन था कि सरकारी नौकरी छोड़कर आज अधिकतम समय मलीन बस्तियों में गरीब बच्चों के बीच ही व्यतीत करतें है। ऐसा क्या था उनके मन में जो वे आज जगह जगह बस प्रकृति का सन्देश लिए फिरतें है। आइये पढतें हैं ऐसे ही एक बावरे की सच्ची कहानी।
आचार्य चंद्रभूषण तिवारी
आचार्य चंद्रभूषण तिवारी का जन्म 1 जुलाई 1969 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुआ। माता श्रीमती कान्ति देवी पिता श्री मिथिला बिहारी तिवारी व पत्नी डॉ सुशीला तिवारी, जो कि डॉ राजेंद्र प्रसाद डिग्री कालेज में राजनीति शास्त्र की प्रवक्ता हैं।
आपका बचपन से ही पेड़-पौधे लगाने, गरीब बच्चों को पढ़ाने और दीन दुखियों की सेवा करने के प्रति समर्पण का भाव रहा।
तिवारी जी ने जीवन में दो मुख्य लक्ष्य रखे -
2. मजदूर के झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को शिक्षा और उनके लिए पुस्तकें भोजन सामग्री खिलौने और कपड़ों की आपूर्ति।
सन् 1980 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी. ए. व ऍम. ए. किया और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से आचार्य की उपाधि प्राप्त किया।
सन् 1993 के समय आपके पास एक छोटे से बच्चे का पत्र आया, उस पत्र को पढ़ कर वे बड़े मार्मिक हो गये उस समय केंद्रीय विद्यालय (सम्बलपुर ,उड़ीसा) में आपके द्वारा अध्यापन कार्य किया जा रहा था। लख़नऊ में आपके द्वारा पोषित मज़दूरों के बच्चों के पुकार पर नौकरी छोड़ कर लखनऊ आ गए और अपने उद्देश्य में लग गए।
आपके द्वारा अब तक 1 लाख से भी अधिक वृक्षो का वृक्षारोपण किया जा चुका है,जो फल फूल रहें है, और 10 लाख वृक्षों का वृक्षारोपण करने का लक्ष्य है।
गोमती से गंगा तक की यात्रा के दौरान नैमिषारण्य तीर्थ में 88000 ऋषियों की स्मृति में चौरासी कोस की परिक्रमा के क्षेत्र में 88000 पौधे लगाने और वितरण का संकल्प लिया और उसे एक अन्य संस्थानों जैसे लोकभारती के सामूहिक प्रयास से 2011 तक पूरा किया।
गरीब बेसहारा बच्चों को पढ़ाने के लिए 4 निःशुल्क शिक्षा केंद्र एवं एक मोबाइल स्कूल (सचल पाठशाला) Maruti वैन पर लोगों के सहयोग से चला रहे हैं।
तिवारी जी के पर्यावरण व गरीब बच्चों के शिक्षा के कार्य अद्वितीय है, आपके प्रयासों को Discovery, दूरदर्शन , रेडियो, BBC लंदन, इंडिया टुडे , दैनिक जागरण अनगिनत पत्र पत्रिकाओं में भी प्रकाशित व प्रसारित किया गया है।
उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री बी. एल. जोशी जी ने अखबार में पढ़ कर राजभवन में बुलाकर सम्मानित किया है। इसके अलावा गार्ड फिलिप्स, ब्रेवरी पुरस्कार, अवध गौरव श्री श्री रविशंकर द्वारा कर्मयोगी नागरिक सम्मान से भी सम्मानित किए गए हैं।
आपको ये हमेशा साइकिल, मोटरसाइकिल व Maruti वैन पर पौधे व पाठ्य सामग्री, कपड़े और खिलौने बाँटते,और पढ़ाते हुए मिल जाएंगे।
मेरे द्वारा प्रश्न किया गया कि आचार्य जी आपका यह सब करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उनका उत्तर था- शिक्षा,
उन्होंने बताया -थोड़ा पढ़ें तो कार्य से जुड़े। ज्यादा पढ़े तो गांव से जुड़े,बहुत ज्यादा पढ़े तो हिंदुस्तान व सारे संसार से जुड़े ।कमाईये खूब कमाइये ,कई पुश्तों को बैठाकर खाने, नशेबाजी,आलसी, विकलांग,बीमार बनाने के लिए नहीं, बल्कि धरती पर कोई मानव संतान निरक्षर, अज्ञानी, रोगी ना रहे, कमाईये, मेहनत से खूब कमाए।
गाइये खूब गाइये, चुगली, निंदा, भिखारीपन शिकवा शिकायत ,अश्लीलता, नग्नता फैलाने वाले गीत नहीं, बल्कि मानव का मानव से रिश्ता व मानव का प्रकृति से रिश्ता, समझाने के लिए गीत गाइये।
स्वयं को प्रकृति का पुत्र मानने वाले आचार्य जल, वायु ,जंगल ,जमीन ,जानवर, जन-जन सब के प्रति कृतज्ञ हैं, वे लाखों पौधों, छायादार वृक्ष लगाने के लिए संकल्पित है , ताकि धरती पर कोई भी छाया हीन व भूखा न रहे । वे निशुल्क पौधा प्रसाद में देखकर लोगों को प्रेरित करते हैं, कोई भी मानव संतान अज्ञानी निरक्षर नहीं कहलाना चाहिए , इसलिए झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों हेतु निशुल्क विद्यादान केंद्रों को चलाते हैं, इनकी ना कोई संस्था है ना ही कोई सरकारी सहयोग।
इस पुनीत कार्य के लिए जब वह लोगों के बीच जाते हैं तो वह अपनी भावनाओं को सूक्तियों के माध्यम से व्यक्त करते हैं अपने शुभचिंतकों मित्रों के आग्रह पर ही इन गीतों सूक्तियों संदेशों को सुनाते रहते हैं। कुछ भी बेचते नहीं फलदार पौधे निशुल्क देते हैं, विद्या केंद्र भी निशुल्क चलता है ।
वे कहते हैं - धरती स्वर्ग है, मनुष्य देवता है, वृक्ष और बच्चे भी आपके कल हैं, इन्हें लगा लीजिए इन्हें बचा लीजिए आप सबको बहुत शुभकामना मंगलकामना।
आचार्य चंद्रभूषण तिवारी द्वारा कहे गए प्रेरणादायक कथन
- जो व्यक्ति मांगने वाला गीत गाता रहेगा उसे शिकवा शिकायत का भी गीत अवश्य गाना होगा । अतः उपकार गीत गाने वाला व्यक्ति ही धरती पर निरंतर सुख व सम्मान और ईश्वर को प्राप्त करेगा।
- बोलना ही चाहते हो तो खूब बोलो, पर दूसरों की कही किताबों से रटी बात नहीं, अपने जीवन में मानव जाति व प्रकृति के लिए शुभ कार्य किया हो तो खूब बोलो।
- पर्यावरण वह नाव है, जिसमें जंगल ,जल ,जमीन, जानवर व जन-जन सवार है मनुष्य को छोड़कर बाकी सब इसकी रक्षा कर रही है पर अज्ञानतावश मनुष्य दिन-प्रतिदिन इसमें छिद्र ही कर रहा है।
- प्रत्येक को ध्यानपूर्वक सुनिए। जो अच्छा हो उसे ग्रहण कर लीजिए, अनावश्यक को छोड़ दीजिए। यही सुखी जीवन का मार्ग है।
- प्रकृति ने हमें एक मुंह और दो कान प्रदान किए हैं , इसका अर्थ है कि हम जितना बोलें उससे दोगुना सुने।
- घर ऊंचे ऊंचे बनाओ, लोगों को नीचा दिखाने के लिए नहीं,बल्कि जो लोग जाड़ा,गर्मी ,बरसात में छाया हीन रहते हैं, उनको छाया देने के लिए घर ऊंचे ऊंचे बनाओ।
- आप जिस धरती ,परिवार, समाज व संस्था में रहते हैं वहां के लिए उपहार हैं की भार हैं? मिट्टी, पानी, हवा अग्नि,पेड़ -पौधे , पशु पक्षी अपने आचरण पर अडिग हैं पर आपका कोई निश्चित आचरण होगा कि नहीं?
- अगर जल ,जंगल ,जानवर ,जमीन को जन जन के प्रति पोषण संरक्षण का भाव विचार कार्य व व्यवहार होने लगे , तो समझ ले कि मैं मनुष्यता की ओर बढ़ रहा हूं।
- जो लोग अपने जूते चप्पल, उपयोग में लाए हुए वस्तु को उचित स्थान पर ठीक ढंग से रखते हैं , वह सदा सम्मान आदर प्राप्त करते रहते हैं।
- स्थाई पहचान की चाहत है, तो शुभ सोचने, शुभ कहने की आदत डालें।
दोस्तों यदि आप तिवारी जी के इस अभियान में अपना सहयोग करना चाहतें हैं तो अपने घर के पुराने कपडे एवं खिलौने दान करें-
आचार्य चंद्रभूषण तिवारी
3/69 रजनी खंड, शारदा नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मोबाइल न.- 9415910029
मेल आई डी - achandrabhushan@gmail.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें