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बड़े होने के बाद भी मैं बचपन को कैसे बरकरार रख सकता हूं? - बचपना ज़रूरी है

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आपने कभी एक छोटे से बच्चे को हवा में उछाला है! अगर हाँ, तो आपको ये अनुभव होगा के बच्चा हवा में उछलते से ही ज़ोर ज़ोर से किलकारी मारकर हँसता है और आनंद लेता है। उसे ये फ़िक्र नही है के मैं गिर गया तो क्या होगा, मेरे कौनसा हाथ की हड्डी टूटेगी, कितने दांत टूटेंगे वगैरह वगैरह। वो तो बस उस पल के मज़े ले रहा है। ठीक इसी तरह आप जिस स्थिति में है, उसको भरपूर जीने का प्रयत्न करें। भले बेहद खुशी का पल हो या बेहद दुःख का, उस पल को पूरी तरह से जीये। पुराने के बारे में सोचने का मतलब नही क्योंकि वो बीत गया, आने वाले के बारे में सोचने का फायदा नही क्योंकि आपके बस में वो है नही! हाँ जिस पल को आप जी रहे है, वो आपका है। उस पल में जिये! कल किसने देखा है? बच्चे इसीलिए इतने उन्मुक्त और आनंदित रहते है। -अर्पित शर्मा (Arpit Sharma) उफ्फ! अब लोगों को कौन समझाए कि कद नहीं "किरदार"‌ बड़ा होना चाहिए?

शर्त

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महान लेखक टालस्टाय की एक कहानी है *- "शर्त "* इस कहानी में दो मित्रो में आपस मे शर्त लगती है कि, यदि उसने 1 माह एकांत में बिना किसी से मिले,बातचीत किये एक कमरे में बिता देता है, तो उसे 10 लाख नकद वो देगा । इस बीच, यदि वो शर्त पूरी नहीं करता, तो वो हार जाएगा । पहला मित्र ये शर्त स्वीकार कर लेता है । उसे दूर एक खाली मकान में बंद करके रख दिया जाता है । बस दो जून का भोजन और कुछ किताबें उसे दी गई । उसने जब वहां अकेले रहना  शुरू किया तो 1 दिन 2 दिन किताबो से मन बहल गया फिर वो खीझने लगा । उसे बताया गया था कि थोड़ा भी बर्दाश्त से बाहर हो तो वो घण्टी बजा के संकेत दे सकता है और उसे वहां से निकाल लिया जाएगा । जैसे जैसे दिन बीतने लगे उसे एक एक घण्टे युगों से लगने लगे । वो चीखता, चिल्लाता लेकिन शर्त का खयाल कर बाहर किसी को नही बुलाता । वोअपने बाल नोचता, रोता, गालियां देता तड़फ जाता,मतलब अकेलेपन की पीड़ा उसे भयानक लगने लगी पर वो शर्त की याद कर अपने को रोक लेता । कुछ दिन और बीते तो धीरे धीरे उसके भीतर एक अजीब शांति घटित होने लगी।अब उसे किसी की आवश्यकता का अनुभव नही होने लगा। वो बस ...

कोरोना वायरस

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एक बार मुगल बादशाह अकबर और उनका अति प्रिय मंत्री बीरबल दोनों शतरंज खेलने बैठे। दोनों के बीच यह शर्त लगी कि उन में से जो भी व्यक्ति शतरंज की यह बाजी हारेगा, उसे जीतने वाले की इच्छा के अनुसार जुर्माना चुकाना होगा।  इसी क्रम में पहले बीरबल बोला जहांपनाह यदि आप जीत गए और मैं हार गया तो हुकुम फरमाएं कि मैं आपको क्या जुर्माना चुकाऊंगा ?  बादशाह ने जवाब दिया बीरबल यदि यह बाजी मैं जीता और तुम हारे तो तुम्हें, जुर्माना स्वरूप मुझे सौ स्वर्ण मुद्राएं सौंपनी होगी। इस पर बीरबल ने हां में गर्दन हिलाई ‌।  अब बारी बीरबल की थी, वह बोला जहांपनाह यदि इस बाजी में आप हारे और मैं जीता तो आप मुझे जुर्माने के रूप में शतरंज के 64 खानों में गेहूं के दाने रखकर चुकाएंगे‌ लेकिन इसमें मेरी एक छोटी सी शर्त यह रहेगी कि आपको शतरंज के पहले खाने में गेहूं का एक दाना रखना होगा, दूसरे खाने में पहले के दुगने दो दाने, तीसरे खाने में दो के दुगने चार दाने, चौथे खाने में चार के दुगने आठ दाने, पांचवें खाने में आठ के दुगने सोलह दाने।  ऐसे करते हुए शतरंज के सभी चौसठ खानों में गेहूं के दाने रख कर वे सारे गेहूं...

नेवेले की कहानी

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एक गांव में एक परिवार रहता था जिसमें पति पत्नि और उनका एक छोटा सा बच्चा लगभग २-३ महिने का था उस परिवार में एक पालतू नेवला भी था, जिससे उस बच्चे की मां बहुत डरती थी और उसे लगता था कि कहीं नेवला उसके बच्चे को ही ना खा ले। वो कभी भी अपने बच्चे को अकेला नहीं छोड़ती थी, एक दिन उसको पीने का पानी कुएं से लेने जाना पड़ा तो उसने अपने बच्चे को कमरे में बिस्तर के पास लगे झूले में एक सुला दिया और कमरे को बाहर से ताला लगा कर पानी लेने कुएं के पास चली गई, कुएं के पास पहले से ही कुछ और लोग भी खड़े थे, जिससे उसको थोडा़ ज्यादा वक्त लगा पानी लेके वापस आने में। जैसे ही वह घर पहुंची और कमरे का दरवाजा खोने जा ही रही थी कि अचानक उसकी नज़र उस बन नेवले पर पड़ी, उसने देखा की नेवले के मुख़ में बहुत सारा ख़ून लगा था, जिसको देख कर वह जोर से चिल्लाई, है भगवान् इसने मेरे बच्चे को मार डाला, और जिस बर्तन में पानी लाई थी उसी को नेवले के ऊपर फेक दिया, और नेवला उसके नीचे दब कर मर गया। और ओह महिला रोते हुए दरवाज़ा खोल कर अंदर गई, और जैसे ही अंदर आई उसकी आंखों के सामने जो था उसको देख कर वह स्तब्ध रह गई और उसने देख...

हमरी जिन्दगी का एक ही मक़सद है कि हमार बिटवा पेड़ पर चढ़ेगा।

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पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था। बेटा इतना मेधावी नहीं था कि NEET क्लियर कर लेता। इसलिए  दलालों से MBBS की सीट खरीदने का जुगाड़ किया । ज़मीन, जायदाद, ज़ेवर सब गिरवी रख के 35 लाख रूपये दलालों को दिए, लेकिन अफसोस वहाँ धोखा हो गया। अब क्या करें...? लड़के को तो डॉक्टर बनाना है कैसे भी...!! फिर किसी तरह विदेश में लड़के का एडमीशन कराया गया, वहाँ लड़का चल नहीं पाया। फेल होने लगा.. डिप्रेशन में रहने लगा। रक्षाबंधन पर घर आया और घर में ही फांसी लगा ली। सारे अरमान धराशायी.... रेत के महल की तरह ढह गए.... 20 दिन बाद माँ-बाप और बहन ने भी कीटनाशक खा कर आत्म-हत्या कर ली। अपने बेटे को डॉक्टर बनाने की झूठी महत्वाकांक्षा ने पूरा परिवार लील लिया। माँ बाप अपने सपने, अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं ... मैंने देखा कि कुछ माँ बाप अपने बच्चों को Topper बनाने के लिए इतना ज़्यादा अनर्गल दबाव डालते हैं कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है।  आधुनिक स्कूली शिक्षा बच्चे की Evaluation और Gradening ऐसे करती है, जैसे सेब के बाग़ में सेब की खेती की जा...

धन-दौलत की तीन गतियां

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एक गांव में धर्मदास नामक एक व्यक्ति रहता था।  बातें तो बड़ी ही अच्छी- अच्छी करता था पर था एकदम कंजूस।  . कंजूस भी ऐसा वैसा नहीं बिल्कुल मक्खीचूस।  . चाय की बात तो छोड़ों वह किसी को पानी तक के लिए नहीं पूछता था।  . साधु-संतों और भिखारियों को देखकर तो उसके प्राण ही सूख जाते थे कि कहीं कोई कुछ मांग न बैठे।  . एक दिन उसके दरवाजे पर एक महात्मा आये और धर्मदास से सिर्फ एक रोटी मांगी।  . पहले तो धर्मदास ने महात्मा को कुछ भी देने से मना कर दिया, . लेकिन तब वह वहीं खड़ा रहा तो उसे आधी रोटी देने लगा। आधी रोटी देखकर महात्मा ने कहा कि अब तो मैं आधी रोटी नहीं पेट भरकर खाना खाऊंगा।  . इस पर धर्मदास ने कहा कि अब वह कुछ नहीं देगा। . महात्मा रातभर चुपचाप भूखा-प्यासा धर्मदास के दरवाजे पर खड़ा रहा। . सुबह जब धर्मदास ने महात्मा को अपने दरवाजे पर खड़ा देखा तो सोचा कि अगर मैंने इसे भरपेट खाना नहीं खिलाया और यह भूख-प्यास से यहीं पर मर गया तो मेरी बदनामी होगी। . बिना कारण साधु की हत्या का दोष लगेगा। . धर्मदास ने महात्मा से कहा कि बाबा तुम भी क्या याद कर...

एक हाइली इफेक्टिव आदमी

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एक हाइली इफेक्टिव आदमी कौन होता है? एक हाइली इफेक्टिव इंसान वो होता है जिसका केरेक्टर अच्छा हो. जिसके पास स्ट्रोंग वेल्यूज़ हो. क्या आपकी कभी अपने किसी रिश्तेदार या कलीग से खटपट हुई है? किसी से ये उम्मीद रखना कि वे बदले, उससे पहले आपको खुद को बदलना होगा. क्या आपको लगता है कि आपमें खुद को इम्प्रूव करने की क्वालिटी है? एक हाइली इफेक्टिव इंसान के दुसरे लोगो के साथ भी अच्छे रिलेशन होते है. वो अपने परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और कलीग्स के साथ मिलजुल कर रहता है. और एक अच्छा रिलेशन सालो साल तक चलता है. एक हाइली इफेक्टिव इंसान कैसे बना जाए, ये आप इस किताब को पढ़कर सीख सकते है. जो भी आपकी जॉब हो, आप इस किताब से ये बात जान सकते है. जैसे कि अगर आप एक पेरेंट है तो अपने बच्चे के साथ अपना रिलेशनशिप और भी बेहतर बना सकते है. अगर आप एक बॉस है जो इस किताब में आपको ऐसे टिप्स मिलेंगे जिनसे आप और भी अच्छे लीडर बन पायेंगे. जब आपका केरेक्टर अच्छा हो तो लोग भी आपसे नज़दीकी बढ़ाना चाहते है. इसीलिए तो “द सेवेन हेबिट्स ऑफ़ हाइली इफेक्टिव पीपल” एक इंटरनेशनल बेस्ट सेलर है. ये किताब केरेक्टर इम्प्रूव ...