छठ पूजा- आस्था का महापर्व
  उगते हुए  सूर्य को सब प्रणाम करतें है, अस्त होते हुए सूर्य को कौन पूजता है! परंतु पूर्वांचल संस्कृति में अस्त होते हुए सूर्य की भी पूजा होती है, ऐसा माना जाता है कि सूर्य भगवान ही एक मात्र ऐसे भगवान है जिनके हम सजीव दर्शन कर सकतें है, और जिनके कारण हम सब जीवित है , हम सबका अस्तित्व है और हम सबको यह चाहिए कि हम सब उनके प्रति कृतज्ञ रहें। छठ पूजा इसी कृतज्ञता को व्यक्त करने का माध्यम है।   छठ पूजा का आरंभ       एक  कथा  के  अनुसार  प्रथम  देवासुर  संग्राम  में  जब  असुरों  के  हाथों  देवता  हार  गये  थे , तब  देव  माता  अदिति  ने  तेजस्वी  पुत्र  की  प्राप्ति  के  लिए  देवारण्य  के  देव  सूर्य  मंदिर  में  छठी  मैया  की  आराधना  की  थी । तब  प्रसन्न  होकर  छठी  मैया  ने  उन्हें  सर्वगुण  संपन्न  तेजस्वी  पुत्र  होने  का  वरदान  दिया  था । इसके  बाद  अदिति  के  पुत्र  हुए  त्रिदेव  रूप  आदित्य  भगवान , जिन्होंने  असुरों  पर  देवताओं  को  विजय  दिलायी । कहा  जाता  हैं  कि  उसी  समय  से  देव  सेना  षष्ठी  देवी  के  नाम  पर  इस  धाम  का  नाम  देव  हो  गया  और  छठ  का  चलन  भी...