एक लड़के की कहानी, जिसकी समझदारी ने अविरल की सोच ही बदलकर रख दी।



अविरल दुनियादारी के बारे में कुछ नहीं
जानता था। एक दिन बस में वह अपनी जेब
से फोन निकाल रहा था कि पास खड़े एक
व्यक्ति को लगा कि वह उसकी जेब से
बटुआ निकाल रहा है। उसने अविरल को
फटकारा और गालियां भी दीं। अविरल ने
सफाई दी कि वह तो अपनी जेब से मोबाइल
निकाल रहा था, लेकिन गलती से उसका
हाथ सामने खड़े व्यक्ति के बटुए को छ
गया। अगले स्टॉप पर बस से उतरने के बाद
अविरल को ऐसा लग रहा था, जैसे कि वह
एक चोर हो और चोरी करते पकड़ा गया
हो। चूंकि वह उसके ऑफिस का पहला
दिन था, इसलिए किसी भी कीमत पर उसे
समय पर ऑफिस पहुंचना तो था ही। पीछे
से एक और बस आ रही थी। उसने अपने
मन को समझाया और उस बस में चढ़ गया।
बस में उसके आगे एक और लड़का था, जो
कुछ-कुछ उसी की तरह दिखता था।
इत्तफाक से इस बार उस लड़के का हाथ
उसके आगे वाले व्यक्ति की जेब पर पड़
गया। ठीक जैसा अविरल के साथ हुआ था,
वैसे ही आगे वाले व्यक्ति ने पलट कर उस
लड़के को दो-तीन गालियां सुनाई और
सबके सामने फटकार लगा दी। बस में
मौजूद सारे लोग उस लड़के को घूरने लगे।
हालांकि अविरल पहले से बेहतर महसूस
कर रहा था। लेकिन उसे उस लड़के के
लिए बुरा लग रहा था। लेकिन अविरल ने
देखा कि उस लड़के के चेहरे पर एक
शिकन तक नहीं थी, बल्कि वह तो मुस्कुरा
रहा था। अविरल ने उसके कंधे पर हाथ
रखा और कहा, कोई बात नहीं भाई। मैं भी
अभी इसी परिस्थिति से गुजर कर आ रहा
हैं। इस पर वह लड़का हंसते हुए कहते।
लगा, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये लोग तो
मुझे पिछले बस स्टॉप से जानते हैं। जबकि
मैं खुद को पिछले बीस साल से जानता हूं।
यह सुनकर अविरल स्तब्ध रह गया। उसे
उसकी जिंदगी का पहला सबक मिल गया।

हम खुद को किस नजर से देखते
हैं, यही मांयने रखता है।

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