दलाई लामा के प्रेरक कथन


 

पूरा नाम - तेनजिन ग्यात्सो

 तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू
जन्म - 6 जुलाई  1934  को , उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में 
शिक्षा - मठवासीय शिक्षा, बौध दर्शन में पी. एच. डी.
 
मुख्य योगदान - शांति संदेश, अहिंसा, अंतर धार्मिक मेलमिलाप, सार्वभौमिक उत्तरदायित्व और करूणा के विचारों में 







  • सभी मुख्य धार्मिक रीति रिवाज मूल रूप से एक ही प्रेरणा देती हैं – प्रेम , दया और  क्षमा। महत्वपूर्ण चीज़ यह है कि ये  हमारे नित जीवन का हिस्सा होनी चाहिये।


  • सदैव दयालु बने रहिये और यह हमेशा संभव है।


  • प्रसन्नता पहले से बनी हुई कोई चीज नहीं है। ये आप के ही कर्मों के द्वारा आती है।


  • यदि आप दूसरों की सहायता कर सकते हैं, तो अवश्य करें, यदि नहीं कर सकते हैं तो कम से कम उन्हें नुकसान तो कभी नही पहुँचाइये।


  • यदि आपका कोई विशेष निष्ठा या धर्म है, तो यह अच्छा है, लेकिन आप उसके आभाव में भी जी सकतें हैं।


  • यदि आप अपने चारों ओर खुशनुमा माहौल देखना चाहते हैं तो सदैव करुणा का भाव रखें, यदि आप खुद खुश रहना चाहते हैं तो भी करुणा का भाव अवश्य रखें।


  • सहिष्णुता के  निरंतर अभ्यास में, आपका शत्रु ही आपका सबसे अच्छा गुरु होता है।


  • यह आवश्यक है कि हम अपना दृष्टिकोण और ह्रदय जितना संभव हो दयालु प्रवृति रखें, इसी से हमारे और अन्य लोगों के जीवन में,  दीर्घकाल तक खुशियाँ आती रहेंगी।


  • प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलासिता नहीं . उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती.


  • मेरा धर्म बहुत ही सरल है, मेरा धर्म दयालुता का है.


  • पुराने दोस्त छूटते हैं , नए दोस्त बनते हैं , यह एक प्रकार से दिनों की तरह ही है, एक पुराना दिन बीतता है, और एक नया दिन आता है, महत्त्वपूर्ण यह है कि हम उसे सार्थक बना दें ...... एक सार्थक दोस्त या एक सार्थक दिन।



  • कभी-कभी लोग कुछ बोलकर अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं, और कभी-कभी लोग शांत रहकर अपनी एक प्रभावशाली प्रतिविम्ब बना देते हैं।


  • अपनी क्षमताओं को पहचान कर और उनमे आस्था रख करके ही हम एक बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं.


  • मंदिरों की आवश्यकता ही नहीं है और ना ही जटिल तत्त्व ज्ञान की, मेरा मस्तिष्क और मेरा हृदय ही मेरे मंदिर हैं, मेरा दर्शन दयालुता मात्र है।


  • हम वाह्य दुनिया में कभी शांति प्राप्त नहीं कर सकता हैं, जब तक की हम अन्दर से शांत न हों।


  • हमारे जीवन का उद्देश्य खुश रहना है।

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