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दलाई लामा के प्रेरक कथन

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  पूरा नाम - तेनजिन ग्यात्सो   तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू जन्म - 6 जुलाई  1934  को , उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में  शिक्षा - मठवासीय शिक्षा, बौध दर्शन में पी. एच. डी.   मुख्य योगदान - शांति संदेश, अहिंसा, अंतर धार्मिक मेलमिलाप, सार्वभौमिक उत्तरदायित्व और करूणा के विचारों में  सभी मुख्य धार्मिक रीति रिवाज मूल रूप से एक ही प्रेरणा देती हैं – प्रेम , दया और  क्षमा। महत्वपूर्ण चीज़ यह है कि ये  हमारे नित जीवन का हिस्सा होनी चाहिये। सदैव दयालु बने रहिये और यह हमेशा संभव है। प्रसन्नता पहले से बनी हुई कोई चीज नहीं है। ये आप के ही कर्मों के द्वारा आती है। यदि आप दूसरों की सहायता कर सकते हैं, तो अवश्य करें, यदि नहीं कर सकते हैं तो कम से कम उन्हें नुकसान तो कभी नही पहुँचाइये। यदि आपका कोई विशेष निष्ठा या धर्म है, तो यह अच्छा है, लेकिन आप उसके आभाव में भी जी सकतें हैं। यदि आप अपने चारों ओर खुशनुमा माहौल देखना चाहते हैं तो सदैव करुणा का भाव रखें, यदि आप खुद खुश रहना चाहते हैं तो

भगत सिंह के प्रेरक कथन

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जन्म : 28 सितम्बर 1907,  गाँव बावली ,   जिला लायलपुर , पंजाब (अब पाकिस्तान क्षेत्र) मृत्युस्थल : लाहौर जेल , पंजाब (अब पाकिस्तान क्षेत्र ) आन्दोलन : भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम प्रमुख संगठन : नौजवान भारत सभा ,   हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन , अभिनव भारत शहीद : 23 मार्च 1931 को  7 बजकर 33 मिनट पर फांसी दे दी गयी प्रेमी , पागल   और कवि एक ही पेड़ के जड़ होते हैं। राख का हर एक-एक कतरा मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद रहता हूँ। यदि बहरों को सुनना है तो हमें आवाज़ को बहुत तेज़ करना चाहिए, जब हमने बम गिराया तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था, हमने अंग्रेजी राज पर बम गिराया था, अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए, और उसे आज़ाद करना चहिये। किसी को   “ क्रांति ” शब्द की व्याख्या, शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो भी लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं, उनके फायदे के हिसाब से ही इसे अलग-अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते है। आवश्यक नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष