सभी बाधाओं का हल (कहानी)

 एक आदमी काफी दिनों से परेशान चल
रहा था जिसके कारण वह काफी दिनों से चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहा करता था। वह इस बात से हमेशा परेशान रहता था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के कन्धों पर टिकी है, हमेशा  उसके यहाँ किसी न किसी मेहमान का आना जाना लगा ही रहता था, और उसे बहुत ज्यादा आय कर भी देना पड़ता था, इसके अलावा उसे कई परेशानियां सताती रहती थी।


 इन्ही सब बातों को सोच सोच कर वह ज़्यादातर  परेशान रहा करता था और बच्चों को अक्सर डांट देता , अपनी पत्नी से भी अधिकतर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता ही रहता था।



 एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और कहा पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करवा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनावग्रस्त था, तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया। लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा ठंडा हुआ तो, वह बेटे के पास गया और देखा कि उसका बेटा सोया गया और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी रखी थी, उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के शीर्षक पर पड़ी।



होमवर्क का शीर्षक था- वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगती, लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं। 
 इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ का लेख लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था-



#  मैं अपने पहले हुए  एग्जाम को बहुत बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं।



# मैं बेहद ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाओं को बहुत धन्यवाद देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं।



#  मैं सुबह उस जगाने वाली उस अलार्म  को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ जो कि मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ।



# मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं।



#  बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग हुआ लग रहा हो। उसकी सोच ही बदल गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी।खासकर वह अंतिम वाली लाइन। उसकी नींद ही उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में बैठ कर चिन्तन मनन करना शुरू कर दिया।



#  मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका अर्थ है कि मेरे पास बड़ा घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास तो घर भी नहीं है।


# मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा छोटा सा प्यारा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो इस दुनिया में अकेले हैं।


मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक पद प्रतिष्ठा है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले कई अच्छे लोग हैं।



# मैं बहुत ज्यादा आयकर भरता हूँ, इसका अर्थ है कि मेरे पास अच्छी नौकरी है और मैं उन लोगों से बेहतर हूँ जो बेरोजगार हैं, पैसों की वजह से बहुत सी चीजों और सुविधओं की कमी है।



# हे! ईश्वर ! तेरी ही कृपा है , मुझे क्षमा करना, मैं तेरे दिए वरदान को पहचान नहीं पाया।


# उसके बाद से उसकी सोच एकदम से बदल ही गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म ही हो गयी। वह अब बदला बदला सा लगने लगा। वह भागता हुआ अपने बेटे के पास गया और सोये हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने पुत्र और ईश्वर को धन्यवाद देने लगा।



# दोस्तों , हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक दृष्टिकोण से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे हुए महसूस करेंगे। लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखना शुरूनकर देंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हम चीज़ों को सकारात्मक दृष्टिकोण से सोचना शुरूकर देंगे , हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते ख़ुद ही दिखाई देने लगेंगे।


टिप्पणियाँ