क्षमाशीलता

क्षमाशीलता


 क्षमा मनुष्य को ऊंचाइयों और ले जाती
है:  और व्यक्ति बदला लेकर दूसरे को नीचा दिखाता है, पर इस प्रयास में वो स्वयं बहुत नीचे उतर जाता है।


🔵 एक बार की बात थी एक धोबी नदी किनारे रोज की तरह कपडे धोने आया। उसी स्थान पर कोई महाराज भी ध्यान की अवस्था में थे। धोबी ने तेज़ से आवाज़ लगायी, उसने नहीं सुनी। धोबी को जल्दी थी, और दूसरी आवाज़ लगायी वो भी नहीं सुनी तो धोबी ने धक्का मार दिया।

🔴 महाराज की आँखें खुली, क्रोध की ज्वाला उठी दोनों के बीच में खूब मार -पिट और हाथा पायी होने लगी । लूट पिट कर दोनों अलग दिशा में बैठ गए। एक व्यक्ति दूर से बैठ कर ये सब देख रहा था। साधु के नजदीक आकर पूछा, महाराज आपको ज्यादा चोटें तो नहीं लगी, उसने आपको मारा बहुत । महाराज ने कहा, उस समय आप छुडावाने नहीं आए? 
     व्यक्ति ने कहा, आप दोनों के बीच मे जब लड़ाई हो रही थी उस समय में यह निर्णय नहीं कर पा रहा था की धोबी कौन है और साधू कौन है?

🔵 प्रतिशोध और बदले की भावना साधू को भी धोबी के स्तर पर उतार लाती है। इसीलिए कहा जाता है की,-बुरे के साथ बुरे मत बनो, नहीं तो साधू और शठ की क्या पहचान। दूसरी तरफ, क्षमा करके व्यक्ति अपने स्तर से काफी ऊँचा उठ जाता है। इस प्रकिर्या में वो सामने वाले को भी ऊँचा उठने और बदलने की गुप्त प्रेरणा या मार्गदर्शन देता है।

🔴 “प्रतिशोध और गुस्से से हम अधिकतर खुद को  ही नुक्सान पहुचां बैठते हैं जिस से हमें बाद में खुद बहुत पछतावा होता है।

🔵 आईये हम कुछ इससे जुड़ी बातें बताते हैं :-

👉 1. दोस्तों गुस्से में लिया गया फैसला अक्सर  गलत ही साबित होता है, तो इसीलिए हमें स्वयं पर काबू रखना बहुत जरुरी होता है।

👉 2. क्षमा करने से सामने वाले व्यक्ति के नजर में हमारी इज्जत, सम्मान और भी बढ़ जाती है।

👉 3. गुस्सा करने वाला व्यक्ति हमेशा स्वयं का ही नुक्सान पंहुचाता है।

👉 4. गुस्से में हमेशा अक्सर  वो काम हो जाता है, जिस से हम दूसरों को और स्वयं को भी नुक्सान पहुचाने के साथ साथ लोगों के दिलों में नफरत पैदा कर देते हैं।

👉 5. दोस्तों आपको जब भी गुस्सा आये या किसी के ऊपर गुस्सा हो तो हमें चाहिए की उस समय  हम अपने दिमाग और मन को शांत रखें (नियंत्रण करना सीखें) या फिर हम वहां से कहीं दूसरी जगह पर ज़रूर चले जाएँ।

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