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जनवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राजा और गुरू (कहानी)

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 राजा और गुरू (कहानी)   एक समय की बात थी। भारतवर्ष में आस-पड़ोस के दो राज्य हुआ करते थे । दोनों राज्यों के राजा आपस में एक दूसरे के शत्रु थे । परंतु यह दोनों ही राजा, एक व्यक्ति को गुरु मानते थे अर्थात दोनों के एक ही गुरू थे ।       दोनों के बीच युद्ध का बिगुल बजा । अगले ही दिन वह दोनों अलग अलग समय पर अपने गुरु के पास, आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच गए । गुरु ने पहले वाले राजा को यह आशीर्वाद दिया कि- "आप की विजय निश्चित है ।" राजा के ख़ुशी का कोई ठिकाना ना रहा, और अपने राज्य में जाकर आमोद प्रमोद के साथ विजय उत्सव मनाना आरंभ कर दिया । और वहीं कुछ समय बाद दूसरा राजा, उसी गुरु के पास आया और उन्हें प्रणाम करके जाने लगा । उस गुरु ने उसे यह कहा कि- "आपकी पराजय निश्चित है । " यह सुनकर राजा दुखी हुआ, परंतु हार न माना, और अपने राज्य में जाकर पूरी सेना को दिनरात अभ्यास करने की आज्ञा दी । वह राजा दिन-रात अभ्यास करता, और युद्ध की छोटी-छोटी बारीकियों को जानने लगा । उसने युद्ध की बारीकियों को अपनाने की पूरी योजना बना ली ।      अगले ही दिन युद्ध आरंभ हु

लाएं अपने काम में इनोवेशन, कैसे ?

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लाएं अपने काम में इनोवेशन, कैसे ?   कैरियर में ज्यादा सफल वही होते हैं जो कुछ इनोवेटिव वर्क करते हैं । कार्यक्षेत्र में अपने काम को ज्यादा नवाचारी बनाने के लिए इन तरीकों को अपना सकते हैं।   वे दो उदाहरण जिंहें इनोवेटिव सोच ने आगे बढ़ाया - Google जैसी बड़ी कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई शुरुआत से ही इनोवेटिव सोच वाले व्यक्ति रहे हैं, इसलिए जब वह Google में आए, तो उन्होंने अपने यहां नवाचार Google में आकर भी जारी रखा। उन्होंने आते ही Googl e के सिंबल को चेंज कर पहले दिन साइकिल पर सवार आम आदमी को दिखाया, पेरेंट्स के लिए कुछ नए ऑनलाइन सॉफ्टवेयर को अपलोड किया।     एक बड़ी कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स भी  इस नवाचार सोच के कारण ही आगे चल सके । स्टीव आने वाले 20 सालों के बाद, लोग किस आधार पर सोचेंगे , किस चीज की मांग करेंगे, इसे आसानी से उस समय सोच पा रहे थे।       इनोवेशन यानी नवाचार का मतलब किसी काम को बिल्कुल नए तरीके से करना या उस में कुछ बदलाव लाना है। इनोवेशन सफलता के लिए जरूरी है। इनोवेशन , आपको अक्सर किसी कंपनी के सीईओ की सक्सेस स्टोरी में या किसी

विवेकानंद तुम जीते जग हारा (कविता)

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विवेकानंद तुम जीते जग हारा,  तेरे कारण धन्य हो गया, भारत वर्ष हमारा।  विवेकानंद तुम जीते जग हारा। पूज्य हुआ संपूर्ण विश्व में,  हिंदू दर्शन सारा,  संतो के सिरमौर तुम्हें ही  जब सब ने स्वीकारा। विवेकानंद तू जीते जग हारा।  शहर शिकागो प्रणत हो गया,  सबने कसा किनारा,  तुमने सबके बीच बहा दी।  सम्मोहन की धारा।  विवेकानंद तुम जीते जग हारा।  हे! युग पुरुष, विश्व विजय तू,  हे! भारती दुलारा,  हे नरेंद्र, हे भारत नंदन,  वंदन नमन तुम्हारा।  विवेकानंद तुम जीते जग हारा।                              - जितेंद्रनाथ पांडेय  पूर्वी जिलाध्यक्ष शिक्षक संघ, नेहरू इंटरमीडिएट कॉलेज, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश