कैसे बचें आकाशीय बिजली से

कई बार आकाश में बादल गरजतें हैं तो साथ में बिजली भी देखने को
मिलती है। ऐसे में मन में सवाल उठते हैं। आखिर आकाशीय बिजली कैसे बनती है? और यह क्यों पैदा होती है? लेकिन यह बड़ी अजीब बात है कि इस पहेली को बड़े से बड़े वैज्ञानिक आज तक समझा नहीं पाए हैं। बहुत ही फेमस वैज्ञानिक फ्रैंकलिन ने उस तथ्यों को उजागर करने में सफलता प्राप्त की थी। उनका यह निष्कर्ष एकदम सही था कि बिजली कड़कना वास्तव में एक प्राकृतिक इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज है।


अक्सर देखने को मिलता है कि बिजली के साथ हुई बारिश से कई बकरियां , कई व्यक्ति मौत के मुख में समा जातें है। बिजली के गिरने से कई व्यक्तियों उसकी चपेट में आ जातें है । एक घटना राजस्थान की है- उस समय खेतो में दो चरवाह लड़कियां बकरियों को चरा रही थी, और वह अपनी जान बचाने के लिए एक पेड़ के नीचे जा छिपी। बरसात के शुरु होते ही वह पेड़ के नीचे बकरियों को लेकर छुप गई। उसी समय पेड़ पर आसमान से आकाशी बिजली गिरने से बकरियों के साथ साथ उन दोनों की भी मौत हो गई। ऐसे ही कई घटनाएं आये दिन देखने को मिलती है, और कई लोगों को अपनी चपेट में ले लेती है ऐसे में बरसात में बिजली में आने वाली बाधाओं और बिजली जनित हादसों से लोगों की हानि को बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।

कुछ विशेष बातें जो कि ध्यान रखनी चाहिए।


  • घर में MCB जरूर लगाएं जिससे घर में होने वाली वैधुत तंत्र में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर विद्युत आपूर्ति अपने आप ही बंद हो जाती है और बहुत बड़ा हादसा टल जाता है।


  • घर में बिजली की सेटिंग के साथ अर्थ का एक वायर जरूर डलवाएं। पूरे बिजली के वायरिंग को घर के बाहर उपयुक्त स्थान पर जरूर अर्थ करें, और उसका समय-समय पर जांच करते रहे।


  • बिजली के खंभो को अनावश्यक रुप से ना छुवें और उससे किसी भी जीव को ना बांधे।


  • किसी भी टूटे हुए बिजली के तारों को हाथ कतई ना लगाएं है , और ना ही किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसा करने की सलाह दें, और जल्दी से जल्दी नजदीक के किसी बिजली कार्यालय को तुरंत सूचित करें।


  • यह हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि पशुओं के तबेलों के पास विद्युत आपूर्ति के लिए होम वायरिंग खुली ना हो तथा pvc पाइप में प्रॉपर तरीके से लगाई गई हो।


  • कभी भी इलेक्ट्रिकल लाइंस के नीचे कोई भी वाहन खड़ा ना करें।


  • बिजली की लाइनों के नीचे या खंभों के पास में किसी भी जानवर को बांटना एवं समान का रखना उचित नहीं है।


  • छत पर या आस-पास में से गुजरती हुई बिजली की लाइनों से कभी भी छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए, बल्कि बिजली की लाइनों से पर्याप्त दूरी बनाकर ही रहना चाहिए।


  • किसी भी इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट को अनायास ही नहीं छेड़ना चाहिए।


  • बिजली के खंभे , डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स, ट्रांसफार्मर अर्थ वायर से कभी भी छेड़छाड़ का प्रयास नहीं करना चाहिए।


  • बिजली के खंबे या स्टे वायर से डोरी बांध कर उस पर कपडे सुखाने से परहेज करना चाहिए।


  • हार्वेस्टर मशीन, jcb मशीन, बोरवेल मशीन, भूसा गाड़ी, ट्रैक्टर, ट्रक बसों की छत पर बैठे व्यक्ति ऊपर से गुजर रही 33/11 के वी लाइन से सुरक्षित दूरी बनाकर रखें, इसके सड़क से गुजरते समय विद्युत लाइनों के प्रति विशेष सतर्कता जरूरी है।



आकाशी बिजली से कैसे बचें?


  • जब आसमान में बादल घुमड़ रहे हो और बिजली चमक रही हो और जोरदार बारिश भी हो रही हो। ऐसे में किसी भी तालाब के किनारे या पानी से भरे खेतों में जानवरों के साथ साथ अधिक देर तक ना रहें।


  • लकड़ी के डंडे वाली छतरी लेकर बरसात के मौसम में घर से बाहर निकले क्योंकि लकड़ी विद्युत की अच्छी कुचालक होती है।


  • पैरों में चमड़े या प्लास्टिक के जूते पहने


कैसे और किस प्रकार बनती हैआसमान में बिजली?




मशहूर वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन उन पहले लोगों में से हैं , जिन्होंने बिजली चमकने के पीछे के कारणों को समझाने की कोशिश की।
उनका यह निष्कर्ष बिल्कुल सही था की बिजली चमकना वास्तव में एक प्राकृतिक इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनका 1752 में चर्चित 'काइट एंड की' प्रयोग कभी महज विचारों से आगे बढ़ पाया था या नहीं।

कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि बर्फ के कण जब आपस में टकरातेे हैं तो उनमेें इलेक्ट्रिकल चार्ज आ जाते हैं और बर्फ के छोटे कण में आमतौर पर पॉजिटिव चार्ज आने की संभावना रहती है जबकि बड़े कणो में निगेटिव चार्ज।

जैसे जैसे छोटे कण कन्वेक्शन करंट के कारण ऊपर उठने लगते हैं वैसे वैसे बड़े कण गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे बैठने लगते हैं । इस तरह अपोजिट चार्ज वाले पार्टिकल एक दूसरे से अलग होने लगते हैं और इलेक्ट्रिकल फील्ड तैयार हो जाती है।

बिजली कड़कने से यह फील्ड डिस्चार्ज हो जाता है दरअसल यह चार्ज हो चुके बादल और पृथ्वी के बीच बहुत बड़ी चिंगारी की तरह होता है यह आज भी रहस्य से हुआ है कि यह चिंगारी पैदा कैसे होती है?

कॉस्मिक किरणों का रहस्य


कॉस्मिक रे सुपरनोवा जैसी प्रक्रियाओं के दौरान प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन से बनती है एक विचार यह भी है कि यह चिंगारी अंतरिक्ष से वातावरण में जाने वाली कॉस्मिक रे के कारण पैदा होती है।

कॉस्मिक रे सुपरनोवा जैसी प्रक्रियाओं के दौरान आम तौर पर प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन से बनती है।

अगर एक कॉस्मिक रे हवा के पार्टिकल के साथ टकराती है तो इससे कई तरह के पार्टिकल निकल सकते हैं यह बाद में दूसरे एटॉम के साथ टकराती हैं उनको आयोईज़ करतीे हैं और इलेक्ट्रॉन पैदा होते हैं। 1997 में रूस के वैज्ञानिक अलेक्जेंडर गोरे व्हिच और उनके सहयोगियों ने भी इशारा किया था कि कैसे कॉस्मिक रे चार्ज पैदा करती होंगी।

उनके मुताबिक बादलों के इलेक्ट्रिक फील्ड में इलेक्ट्रॉन आपस में टकराते हैं जिससे और टकराव पैदा होता है तथा बिजली कौंधने लगती है इस प्रक्रिया के तहत x-ray और गामा रे निकल सकती है। बादल गरजने और बिजली चमकने के दौरान उन्होंने भी x-ray और गामा रे का पता लगाया है। इससे लगता है कि वैज्ञानिक अलेक्जेंडर की बात सही हो सकती है

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