व्यक्तिगत विकास के बिन्दु

1.अच्छाइयों को जानना अच्छी बात है,पर अच्छा होना उससे भी बड़ी बात है।

2.उत्तम व्यक्ति सेवा के अवसर खोज लेते है, पर माध्यम व्यक्ति संकेत पा कर सेवा करते है और निम्न व्यक्ति आज्ञा पाने पर सेवा करते है।


3.मल्लाह वही है, जो लहरों से खेले,जो डर गया वह मर गया।


4.तूफानों से डर कर झुकना, है मनुष्य का हार ,कर्मशील बनकर देखो, कितना सुन्दर है संसार।


5.कोई भी गुरु मार्ग दिखा सकता है,पर चलना स्वयं को पड़ता है। कोई भी गुरु पहुँचा नही सकता क्यों की पहुचना स्वयं को पड़ता है।


6.ज्ञानी का महत्व पारस से भी बढ़ कर होता है। पारस लोहे को सोना ही बना सकता है, परंतु ज्ञानी अपने शिष्य को अपने समान बना सकता है।


7.क्या नही कर सकता मानव इस संसार में वह सत्य सम्मुख आज भी, भागीरथी की धार में।


8.एक दान भी बोओगे, तो पूरा वृक्ष लग जायेगा।


9.विपत्ति हमेशा आत्मविश्लेषण के अवसर प्रदान करती है।


10.चिंता कभी न करें, सदैव चिंतन ही करें।

11.जीवन में दो तरह के मनुष्य होते है, एक वो जो खुद को परिवेश के अनुरूप ढाल लेते है और दूसरे वो जो अपने परिवेश को खुद के अनुरूप ढालते है,समाज में सारा विकास इन दूसरे प्रकार के व्यक्तियों पर निर्भर करता है, जो सदैव कुछ नया करने में लगे रहते है।

12.ज्ञान बाँटने से ज्ञान का प्रसार होता है परन्तु अध्ययन से आप के ज्ञान प्रसार होता है

13.एक सफल इन्सान बनने से बेहतर है कि सिद्धांतवादी इन्सान बने

14.ज्ञान कभी भी व्यर्थ नही जाता। 

15. समय मूल्यवान है, इसे कभी भी व्यर्थ न जाने दे,सदैव किसी न किसी निर्माण कार्य में लगे रहे,इससे आप अवगुणों से दूर भी रहेंगे। 




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