अमृत वचन

1.अज्ञानी जन्म लेना अभिषाप नही है, अज्ञानी हो कर मरना ही जीवन का अभिषाप है।
2.सतर्क वही है ,जो बिजली की चमक में सूई पिरो ले।
3.नीचे गिरने के लिए किसी शक्ति व सहयोग की आवश्यकता नही होती परंतु ऊपर उठाने के लिए दूसरे की शक्ति व सहयोग की आवश्यकता होती है।
4.उपासना व पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति नही होती, यदि ऐसा होता तो लक्ष्मी नारायण के मंदिर का पुजारी, आज रॉक फेलर होता।
5.जब कोई कार्य करें, तो उसमे इतना तन्मय हो जाएं की उस कार्य के आलावा कोई अन्य विचार मस्तिष्क में आये ही न, यही ध्यान है।
6.अनीति से धन कमाना,पुत्रों और पीढ़ियों को भ्रष्ट करने का दोहरा पाप है। इससे कोई भी मुक्त नही हो सकता।
7.दुःख दर्पण है ,जो केवल दिखता है ,और सुख दर्शक है जो केवल देखता है।
8.धन सबसे बड़ा खतरा है ,यह आप को खतरों से क्या बचाएगा?
9.धर्म में अंधकार शाश्वत है, प्रकाश को लाना पड़ता है। इसी प्रकार अज्ञान शाश्वत है, ज्ञान को लाना पड़ता है।
10.मानव का मूल्य वस्त्रो से नही आंका जा सकता है। सद्गुणों का विकास करना ही मानव को उच्चता प्रदान करता है।
11.महान कार्य करने वालो को सर्वाधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जो इनका सामना नही कर सकता, कोई भी महान कार्य नही कर सकता ।
12. प्रबल इच्छाशक्ति दुर्गम रास्तों को पार करने में सहायक होती है।
13.कर्मशील व्यक्ति कभी भी भाग्य को नहीँ कोसते।
14.हम भी हँसना सीख रहे है,खिलते हुए गुलाबों से।
पाठ पढ़ेंगे हम जीवन का खुली हुई किताबों से।
हम भी झेलेंगे सब हमले आंधी और तूफानों के।
 15.हर हाल में खुशहाल रह,निर्द्वन्द चिन्ताहीन हो।
मत ध्यान कर तू अन्य का,बस आप में लवलीन हो।
16.वह पथ और पथिक कुशलता क्या?,जिस पथ पर बिखरे शूल न हो।
नाविक की शूल परीक्षा क्या?जब धाराएं प्रतिकूल न हों?

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